बैतूल:- ताप्ती नदी के उद्गम स्थान मुलताई को 2009 में पवित्र नगरी घोषित किया जा चुका था जिसका मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशन भी हुआ था । वहीं पिछले दिनों मध्यप्रदेश के धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग ने ताप्ती उद्गम क्षेत्र को स्वयम्भू धार्मिक न्यास घोषित कर इसे तीर्थ क्षेत्र में विकसित करने का आदेश भी जारी किया और 10 से ज्यादा विभागों को इसकी जिम्मेदारी दी गई । प्रदेश की पूर्व शिवराज सरकार ने मुलताई में ताप्ती लोक बनाने की घोषणा भी  बड़े जोर शोर के साथ कि थी ।लेकिन तमाम घोषणाओं और आदेशों  के बावजूद विकास तो दूर अब तक इन दस विभागों ने ताप्ती तीर्थ क्षेत्र को विकसित करने की कोई योजना भी तैयार नहीं कि है जिससे मुलताई सहित जिले के 20 से ज्यादा संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया है । सभी संगठनों ने मिलकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है और ये चेतावनी दी है कि जल्दी ही अगर ताप्ती उद्गम स्थान पर ताप्ती लोक बनाने पर काम शुरू नहीं किया गया तो ये बड़े आंदोलन का रूप लेगा । संगठनों के मुताबिक ताप्ती को पुराणों में आदिगंगा कहा गया है जिसका हर पुराण में महात्म्य बताया गया है । बैतूल से लेकर गुजरात राज्य के सूरत तक ताप्ती नदी 750 किलोमीटर तक बहती है और इसके तटों पर कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी हैं लेकिन इसके उद्गम स्थल को लेकर सरकार और प्रशासन का रवैया फिलहाल लापरवाही भरा है । जिला प्रशासन ने इन संगठनों को आश्वासन दिया है कि जल्दी ही धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग को इस मांग की सूचना देकर जानकारी ली जाएगी और सरकार के आदेशानुसार आगे कार्यवाही होगी । गौरतलब है कि ताप्ती नदी के उद्गम स्थान मुलताई को साल 2009 में पवित्र नगरी घोषित करने के बाद से आज तक यहां विकास के नाम पर केवल वादे और दावे ही देखने मिले हैं जबकि धरातल पर इसे तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने के कोई प्रयास दिखाई नहीं दिए हैं ।