बैतूल-टपरे में नपा का फायर रूम सुरक्षा कैमरों में भी दृष्टि दोष

बैतूल-नपा के कर्मचारियो कोअपने ही अधीकारियों के भेदभाव पूर्ण रवैय्ये से जूझना पड़ रहा है। पूरे दफ्तर में सिर्फ नई बिल्डिंग में संचालित शाखाएं ही व्यवस्थित नजर आ रही हैं। बाकी शाखाओं में बैठने वाले कर्मचारियों के नसीब में सिर्फ तंगहाल कार्यालय ही लिखे हुए हैं।नगर पालिका के लिए सबसे ज्यादा शर्मनाक यह है की, उनका खुद का फायर रूप टपरे में संचालित हो रहा है। तत्कालीन सीएमओ प्रियंका पटेल के समय नपा के कार्नर पर पुराने फ्लेक्स आदि लगाकर अस्थाई रूम बना दिया गया था। वर्तमान में नपा बैतूल में तीसरे सीएमओ की आमदनी हो चुकी है। फायर रूम में दीवारों के रूप में लगे फ्लैक्स जगह जगह से डेमेज होकर लटक रहे हैं। और इसी टपरे में फायर कर्मियों को ड्यूटी देनी पड़ रही है। जैसे ही आग जनी की कॉल मिलती है फायर कर्मी तुरन्त अपनी जान जोखिम में डालकर अपने फर्ज को अंजाम देने निकल पड़ते हैं। फायर कर्मियों के लिए टपरे में एक टूटी कुर्सी पर टेली फोन रखा हुआ है, तो सीमेंट और टीन के दो बेंच पड़ी हुई हैं। इसी टपरे में बैठकर कर्मचारी अपना फर्ज निभा रहे हैं। ऐसे में नपा के अधिकारी जनप्रतिनिधियों पर तो मेहरबान दिख रहे हैं, लेकिन खुद के कर्मचारियों को सुविधा देने में नाकाम साबित हो रहे है जो कर्मचारियों के हित मे सही नहीं है।
स्वास्थ्य शाखा में तार के सहारे लटक रहे कैमरे
नपा की शाखाओं की हो रही बत्तर हालत की कड़ी में स्वास्थ्य शाखा के भी बुरे हाल हैं। छोटे से कमरे में फाइलों के बीच दबे कर्मचारी किस हाल में ड्यूटी निभा रहे हैं यह प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से यहाँ सीसी टीवी कैमरे लगाए जरूर गए थे लेकिन यह कैमरे अपनी जगह से उखड़कर तारो के सहारे नीचे लटक रहे हैं। अधिकांश कैमरों के बन्द रहने की भी जानकारी सामने आई है। सवाल ये हैं कि क्या वजह है की नपा के अधिकारी अपने खुद के कर्मचारियों के प्रति सम्वेदन शीलता नहीं दिखा पा रहे हैं और महज 5 साल राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधियों को रेवड़ी बांटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
इनका कहना
मेरे संज्ञान में यह मामला आया है, फायर कर्मियों के लिए बेहतर व्यवस्था कर कैमरे भी दुरुस्त कराये जाएंगे।
सतीश मटसेनिया सीएमओ नपा बैतूल