बैतूल-राजेन्द्र वार्ड शराब दुकान के अघोषित अहाते में पुलिस ने चलाए लट्ठ

बैतूल।। शराब ठेकेदार को प्रशासन ने अभयदान क्या दिया ठेकेदार के हौसले सातवे आसमान पर हैं। प्रशासन को न छोटे बच्चो की फिक्र हैं न वार्डवासियों और गर्भवती महिलाओं की यही वजह है कि दो दिन का आश्वासन देने के बाद भी कलेक्टर न दुकान हटवा पाए बल्कि आबकारी भी चैन की नींद ले रहा है।ताजा मामला है राजेन्द्र वार्ड शराब दुकान का जहां मंगलवार रात दुकान के ही समीप बने अघोषित अहाते बार मे पुलिस ने पहुंचकर लट्ठ चलाने शुरू कर दिए, वो भी इसलिए कि शराबी सार्वजनिक स्थल पर बैठकर सुरापान कर रहे थे। ये वही सार्वजनिक स्थल है जहाँ आंगनवाड़ी, मंदिर होने के साथ साथ वार्ड वासी निवास कर रहे हैं। शराब दुकान हटाये जाने के लिए विरोध प्रदर्शन तक किये जा चुके हैं। लेकिन नाकाम सिस्टम अभी तक यह दुकान दूसरी जगह शिफ़्ट करवाने में नाकाम साबित हुआ है।अब आते हैं मुद्दे की बात पर। राजेन्द्र वार्ड में रहने वाले प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक मंगलवार की रात करीब 9 बजे ठेकेदार अचानक अपने गन मैन के साथ शराब दुकान पर पहुंचे थे। कुछ देर बाद ही आश्चर्यजनक तरीके से यहां गंज पुलिस भी पहुंच गई। मौके पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि, पुलिस आंगन वाड़ी के ही समीप रोशनी से जगमगा रहे अघोषित अहाते बार मे पहुंची और बिना किसी लाग लपेट के यहां बैठकर सुरापान कर रहे सुरा प्रेमियों पर लट्ठ बरसाने शुरू कर दिया गया। प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो देखते ही देखते अघोषित आहता बार 5 मिनट के भीतर ही खाली हो गया। पुलिस तीन चार सुरा प्रेमियों को उठाकर थाने ले आई। खबर की पुष्टि करते हुए गंज थाना प्रभारी अरविंद कुमरे ने बताया कि, सार्वजनिक स्थल पर सुरापान करते पाए जाने पर कुछ सुराप्रेमियो को थाने लाया गया था सभी के खिलाफ धारा 26बी के तहत कार्यवाही की गई है। कार्यवाही तो अपनी जगह ठीक है लेकिन कार्यवाही अपने पीछे कई सवाल भी खड़े कर रही है। कलेक्टर के मुताबिक 8 दिन पहले कहा गया था कि ठेकेदार अन्य जगह दुकान खोज रहा है, दो दिन में शिफ्टिंग हो जाएगी। ठेकेदार अभी तक दुकान कैसे नहीं ढूंढ पाया। दूसरा सवाल जब पुलिस प्रशासन इसे सार्वजनिक स्थल मानकर सुराप्रेमियो पर कार्यवाही कर सकती है तो प्रशासन इसे सार्वजनिक स्थल क्यों नहीं मान रहा है। तीसरा सवाल जब वार्ड में मंदिर और आंगनवाड़ी का हवाला देकर वार्डवासी महीने भर से दुकान अन्यत्र स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग कर रहे तो प्रशासन जनहित को नजरअंदाज आखिर क्यों कर रहा है। कुल मिलाकर इस मामले में प्रशासन की नजरअंदाजि अफसरों की किरकिरी भी करवा रही है।