बैतूल टाउन 1 में लुटे पिटे लोगों की आह मचाएगी धमाल एफआईआर से परहेज क्यों ?

बैतूल:-हर इंसान की जरूरत होती है रोटी , कपड़ा और मकान, रोटी और कपड़े का जुगाड़ तो हो जाता है,लेकिन मकान बनाने का सपना जिंदगी की जंग जीतने जैसा ही होता है। सवाल यह है कि बैतूल टाउन 1में सरकारी जमीन पर प्लाट खरीदने वालों का कसूर आखिर क्या था। कैसे उन्हें बेवकूफ बनाकर अब मरने के लिए छोड़ दिया गया। कौन हैं। जिन्होंने इन बेकसूर लोगो की खून पसीने की गाढ़ी कमाई पर डाका डालकर अपने साथ साथ अधीकारियों की भी तिजोरी भर डाली, लेकिन हद तब हो गयी जब पूरा मामला सामने आने के बाद भी कसूरवार को जेल भेजने के बजाय खुला छोड़ दिया गया है। रुपयों का वजन इस कदर बढ़ा दिया गया है। कि कदम एफआईआर करवाने के बजाए जहां की वहाँ थम चुके हैं। ऐसे में पीढ़ित परिवारों के सामने अब सिवाए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।
एफआईआर का आदेश देकर कलेक्टर भी मौन
भू माफियाओं की हिमाकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।की सरकारी नाले के 20 हजार स्क्वेयर फिट जमीन पर माफियाओं ने कब्जा कर पहले प्लाट खड़े किए और बाद में उन्हें उन परिवारों को बेच दिया गया जो अपने घरौंदा तैयार करने के ख्वाब देख रहे थे। अतिक्रमण हो गया। मकान बन गए और प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी भनक तक न लगना किसी बड़े भृस्टाचार की तरफ साफ इशारा कर रहा है। शिकायत के बाद कलेक्टर नरेंद्र कुमार सुर्यवंशी ने मौका निरीक्षण कर तत्काल एफआईआर के निर्देश दिए लेकिन, यह एफआईआर आज तक एसडीएम और तहसीलदार के पाले में ही घूम रही है। करीब महीना भर होते आ रहा है, न एफआईआर हो सकी और न कॉलोनाइजर को जेल पहुंच सके हैं। अधीकारियों की शह पर लोगों की गाढ़ी कमाई डकारकर आज भी यह दोनो कालोनाइजरों शान से महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं। और जिन परिवारों पर आफत की तलवार लटकी हुई है उनके दिन का चैन और रात की नींद हराम हो चुकी है। जिनका दर्द समझने और उन्हें न्याय दिलाने में अधिकारी दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। जो भी है लेकिन यह तो साफ है कि कार्यवाही करने में तहसीलदार और एसडीएम दोनो हिला हवाली कर रहे हैं, ऐसे में अब पीढ़ित परिवार भी न्याय की तलाश में न्यायालय की शरण लेने पर विचार करने लगे हैं। जानकारी मिली है कि अब इस मामले में कालोनाइजरों के अलावा ऊपर से लेकर नीचे तक अधीकारियों को पार्टी बनाया जाएगा और अब न्यायालय ही इन अधीकारियों से सवाल जवाब तलब करेगी।