बैतूल:- अस्पताल होता है बीमारों के इलाज के लिए लेकिन अगर अस्पताल खुद ही बीमारियों का अड्डा बन जाए तो मरीजों को ऊपरवाला ही बचा सकता है । कुछ ऐसा ही हाल है बैतूल के जिला अस्पताल का जहां अस्पताल भवन की छतों पर रखी पानी की टंकियो का हाल देखकर आप समझ सकते हैं कि बीमार तो बाहर से आ रहे हैं लेकिन बीमारियां अस्पताल  परिसर में ही पनप रही हैं। जिला अस्पताल में  हर दूसरे दिन जिला कलेक्टर जांच पड़ताल कर रहे हैं। साफ सफाई से लेकर भोजन की गुणवत्ता पर प्रशासन की नज़र है लेकिन कलेक्टर साहब से भी एक चूक हो गई ।अगर वो जिला अस्पताल की छत का निरीक्षण कर लेते तो शायद स्वछता और मरीजों की सेहत से हो रहे खिलवाड़ की असली तस्वीर सामने आ जाती । जिला अस्पताल भवन की छतों के ऊपर रखी पानी की टंकियो का हाल देखिये । किसी भी टँकी पर ढक्कन नहीं लगे हैं । महीने बीत गए लेकिन टंकियो की सफाई नही  की गई है । टंकियो के अंदर बाहर और चारों तरफ काई  जमी हुई है । पीने के पानी मे मच्छरों के हजारों लार्वा  पनप रहे हैं । ये पानी मरीज और उनके परिजन पीते हैं । अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में भी यही पानी सप्लाई होता है । ज़रा सोचिए गर्भवती महिलाएं और प्रसूताएं इस पानी को पीती होंगी तो उनके दुधमुंहे बच्चों पर भी इसका असर होता होगा । लेकिन इतनी गन्दगी और अव्यवस्था से प्रशासन बेखबर है । बैतूल के कुछ जनप्रतिनिधियों ने मरीजों के साथ हो रहे इस खिलवाड़ के खिलाफ  आवाज उठाई है । इनके मुताबिक प्रशासन जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण से लेकर तमाम तरह के दिशा निर्देश जारी कर रहा है लेकिन अगर मरीज और उनके परिजन ऐसा गन्दा पानी पियेंगे तो उनका बचना मुश्किल होगा । मरीज और उनके परिजनों को तो ये भी नहीं मालूम है कि वो जिस पानी को गला तर करने के लिए गटागट पिये जा रहे हैं उस पानी भर करोड़ो बैक्टीरिया मौजूद है जो उन्हें हमेशा अस्पताल के चक्कर लगवाते रहेंगे ।अब सबसे बड़ी लापरवाही देखिए कि जिला अस्पताल में बैक्टीरिया वाले पानी की बेधड़क सप्लाई की जानकारी खुद जिला स्वास्थ्य अधिकारी को नहीं है। जिला अस्पताल में गन्दगी से भरी पानी की ये टंकियाँ इस बात का जीता जागता सबूत है कि व्यवस्थाएं सुधारने के नाम पर केवल स्टंटबाजी और जुबानी जमाखर्च की होता है जबकि असल समस्याओं और लापरवाहियों पर किसी का ध्यान नहीं है ।