बैतूल-भू माफियाओं के काले कारनामों में फंसे 15 से अधिक परिवार

बैतूल:-कालोनियों के जरिये रसूख बटोरने वाले कालोनाइजरों की काली करतूत अब उन लोगों पर कहर बनकर टूट रही है। जिन्हें धोखे में रखकर सरकारी जमीन पर प्लाट बनाकर बेच दिए गए हैं। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सुर्यवंशी के संज्ञान में आने के बाद इस काले खेल का खुलासा तो हो गया, लेकिन समूचा राजस्व विभाग, रजिस्ट्री कार्यालय, यहां तक की तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, आरआई पटवारियों की कार्यप्रणाली शक के दायरे में हैं। समय रहते इस पर नजर क्यों नहीं पड़ी, रजिस्ट्रार कार्यालय क्या आंखे मूंदकर रजिस्ट्री कर रहा था। यदि पूरे मामले की गम्भीरता से जांच की जाए तो स्वतः ही सामने आ जायेगा कि, कालोनाइजर सुंदरलाल सुर्यवंशी और अनुपम बाजपेई ने लोगों को लूटकर अपने साथ साथ उन अधीकारियों की भी तिजोरी भर दी जो आँखे मूंदकर लोगों को लूटते पिटते देख रहे थे।
15 से अधिक परिवारों की मेहनत की कमाई पर डाला डाका
दरअसल शिकायत के बाद कमिश्नर लेबल पर सरकारी जमीन पर किये गए इस अतिक्रमण की शिकायत की जब जांच की गई तो सरकारी नाला ही पूरी तरह गायब नजर आया। कॉलोनाइजर सुंदरलाल सुर्यवंशी और अनुपम बाजपेयी ने मिलकर करीब 20 हजार स्क्वेयर फुट सरकारी जमीन पर प्लाट काटकर भोले भाले लोगो को बेच दिए। अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई खर्च कर इस सरकारी जमीन पर लोगों के करीब 15 पक्के मकान भी बन चुके हैं। लेकिन अब इन लोगों के सिर से छत कब छीन ली जाए इसका डर सता रहा है। हालांकि प्रशासन ने गुरुवार नाले की जमीन पर बनाई गई बाउंड्रीवाल का अतिक्रमण हटा दिया है, लेकिन अब उन लोगों की रात की नींद और दिन का चैन छिन गया है जिन्हें अब अपने सपनो का आशियाना अपने से दूर होता दिख रहा है। इस पूरे मामले का सबसे संवेदनशील पहलू यह है कि , निरीक्षण के दौरान ही कलेक्टर ने कॉलोनाइजर सुंदरलाल सुर्यवंशी और अनुपम बाजपेयी के खिलाफ एफआईआर कराये जाने के निर्देश दिए थे लेकिन आज तक समन्धित थाने में आवेदन तक नहीं दिया जा सका है। जानकार सूत्रों की माने तो पूरे मामले पर अब धीरे धीरे पर्दा डालने की साजिश को अंजाम देने की कोशिश शुरू कर दी गई है।